प्रिय पाठको, अपनी कहानी में मैं अपनी सगी भाभी की चुदाई की सच्ची दास्ताँ सुना रहा हूँ !
आप सबको सबसे पहले मैं अपना परिचय देना चाहता हूँ।
मेरा नाम विजय अग्रवाल है और मैं हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) के एक गाँव में रहता हूँ, मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है।
मेरे लंड का साइज़ साढ़े सात इंच है। मुझे इस बात का पक्का यक़ीन है जिसे भी मैंने चोदा है वो पूरी तरह सन्तुष्ट हुई है।
मेरी इस कहानी की नायिका की बात करता हूँ।
जिन भाभी की चुदाई मैंने की है, उनकी उम्र 24 साल की है वो काफ़ी कामुक और आकर्षक माल हैं।
उनका नाम सरिता है, इतनी ख़ूबसूरत हैं कि जो भी एक बार उन्हें देख ले.. तो बस उनका दीवाना हो जाए।
उनका 36-26-36 का फ़िगर बहुत ही मस्त है।
मेरे भैया की नई-नई शादी हुई थी।
भाभी को जब मैंने पहली बार देखा, तब से ही मैं ये सोचने लगा थी कि मैं उन भाभी की चुदाई एक बार ज़रूर तो जरूर करूँगा और उनके नाम से मुठ्ठ मारा करता था।
शादी के कुछ दिनों बाद ही भैया को ऑफिस के काम से एक महीने के लिए अमेरिका जाना पड़ा।
तब भैया ने भाभी से कहा- तू क्यों परेशान होती है.. तेरी सभी ज़रूरतों को तेरा यह देवर पूरा करेगा।
काश उस वक्त वो समझे होते कि सभी ज़रूरतों को मैं पूरा कर दूँगा यानि कि भैया ने सोचा ही नहीं था कि मैं उनकी बीवी को चोदूँगा।
बस वो दिन आया और भैया चले गए अमेरिका।
अभी 4-5 दिन ही बीते थे कि भाभी को बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैं तो उन्हें चोदने का बहुत दिनों से प्लान बना रहा था।
एक दिन मैं अपने कमरे में सोया हुआ था कि भाभी मुझे उठाने के लिए आईं।
मैं सिर्फ़ अपने अंडरवियर में था।
जब भाभी मुझे उठाने के लिए आईं तब उनकी नज़र मेरे तने हुए लण्ड पर पड़ी।
मैं भी जानबूझ कर वैसा ही पड़ा रहा।
ख़ैर भाभी ने देखा और शरमा कर चली गईं।
अगले दिन भी यही हुआ।
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
इसके अगले दिन जब भाभी मुझे उठाने के लिए आईं तब मैंने उन्हें मेरे पास खींच लिया और उनके होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया।
भाभी भी 8-10 दिनों से भूखी थीं।
उन्होंने भी सहयोग किया।
फिर मैंने धीरे-धीरे उनके चेहरे पर से जाते हुए उनकी गर्दन पर चुम्बन करना शुरू किया।
भाभी और गरम होती गईं।
मैंने धीरे-धीरे उनके गोलाइयों को दबाया और उनका ब्लाउज उतार दिया।
फिर उनकी साड़ी खोल दी।
अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में रह गई थीं।
मैं उनके होंठों पर चुम्बन किए जा रहा था और उनके मम्मों को दबा रहा था।
फिर मैंने उनकी ब्रा भी खोल दी।
अब उनके बड़े-बड़े उभार मेरे सामने सर उठाए खड़े थे।
मैं पागल हुए जा रहा था।
उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगी और मेरा लौड़ा सहलाने लगीं।
मुझे लगा मैं सपना देख रहा हूँ।
उसने मेरे कपड़े उतारे।
मैं भी नंगा हो गया फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।
इससे पहले किसी औरत ने मेरा लण्ड नहीं चूसा था।
मैंने सिसकारी भरते हुए कहा- आआ… हहा भाभी… मजा आ रहा है!
फिर वह मुझे चोदने के लिए कहने लगी और मेरे नीचे लेट गई।
अब मेरी भाभी की चुदाई का वक्त आ गया था।
मैंने भाभी की चूत पर लण्ड रख कर धक्का मारा।
उनकी चूत बहुत ज़्यादा चुदी हुई थी, मेरा लण्ड एक बार में पूरा खा गई।
उन्होंने कहा- आ..आह.. मज़ा आ गया.. और ज़ोर से चोदो..
मैं अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता और एकदम से पेल देता।
वो भी नीचे से धक्के मार रही थी और कह रही थी- हाय…मेरे..विज्जू.. ज़ोर से चोदो.. आआहा.. आाआह मज़ाअ आआ रहा है..
धकापेल धकापेल भाभी की चुदाई होने लगी।
फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए उसने मुझे कमर से पकड़ लिया और कहा- मेरे ऊपर ही लेटे रहो।
फिर क़रीब 30 मिनट तक हम मस्ती करते रहे, फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसे मज़ा दे रहा था।
कुछ ही पलों के बाद मैं फिर से तैयार हो गया था।
अब की बार उसने मुझसे कहा- मुझे पीछे से चुदना अच्छा लगता है… तुम मुझे पीछे से चोदो।
मैंने उसके चूतड़ों को फैला कर उसकी उठी हुई चूत में अपना साढ़े सात इन्ची लौड़ा फंसा कर भाभी की चुदाई की, कुतिय की तरह से तरह से उन्हें चोदा।
अबकी बार वो जल्दी झड़ गई, मेरा लण्ड अभी भी मस्त था।
मैं उसे धकापेल चोद रहा था।
मेरा पानी नहीं निकल रहा था।
वो तड़फ कर कह रही थी- बस विज्जू.. अब बस करो मेरी टाँगें दुख रही हैं।
मैंने कहा- थोड़ी देर.. और..मेरी जान।
मैं धक्के मार रहा था..
वो चिल्ला रही थी।
मैं पीछे से कुत्ते जैसा लग कर भाभी की चुदाई किये जा रहा था और उनकी चूचियाँ हवा में झूल रही थीं।
मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियों को पकड़ कर खूब मसला।
उसके चूचुकों को भी मैं खूब दबा रहा था।
भाभी के मुँह से मादक मस्ती की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
‘आह्ह.. चोद मेरे सनम… चोद साले.. खूब मजा आ रहा है.. आह्ह्ह.. !’
तभी मेरे लौड़े ने उसकी चूत की गर्मी से उन पर जुल्म कर दिया और मैं तेजी चोदने लगा..
तभी उनका पानी निकल गया।
पानी से लबालब चूत से ‘फ़च-फ़च’ की आवाज़ आ रही थी।
मैं उसे लगातार बेरहमी से भाभी की चुदाई करता रहा…
वो कह रही थी- बस बस्स्स… आआ… आहा मैं मर जाऊँगी..ई..
फिर मेरा पानी उसकी चूत में निकल गया।
चुदाई से थक कर हम दोनों लेट गए।
उन्होंने कहा- तुमने मेरी चूत का भुरता बना दिया, तुम्हारे भाई ने आज तक कभी ऐसा नहीं चोदा।
फिर मैं रोज़ भाभी की चुदाई करने लगा।
उन्हें भी मुझसे रोज दो बार चुदने का चस्का लग गया था।
आप सबको सबसे पहले मैं अपना परिचय देना चाहता हूँ।
मेरा नाम विजय अग्रवाल है और मैं हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) के एक गाँव में रहता हूँ, मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है।
मेरे लंड का साइज़ साढ़े सात इंच है। मुझे इस बात का पक्का यक़ीन है जिसे भी मैंने चोदा है वो पूरी तरह सन्तुष्ट हुई है।
मेरी इस कहानी की नायिका की बात करता हूँ।
जिन भाभी की चुदाई मैंने की है, उनकी उम्र 24 साल की है वो काफ़ी कामुक और आकर्षक माल हैं।
उनका नाम सरिता है, इतनी ख़ूबसूरत हैं कि जो भी एक बार उन्हें देख ले.. तो बस उनका दीवाना हो जाए।
उनका 36-26-36 का फ़िगर बहुत ही मस्त है।
मेरे भैया की नई-नई शादी हुई थी।
भाभी को जब मैंने पहली बार देखा, तब से ही मैं ये सोचने लगा थी कि मैं उन भाभी की चुदाई एक बार ज़रूर तो जरूर करूँगा और उनके नाम से मुठ्ठ मारा करता था।
शादी के कुछ दिनों बाद ही भैया को ऑफिस के काम से एक महीने के लिए अमेरिका जाना पड़ा।
तब भैया ने भाभी से कहा- तू क्यों परेशान होती है.. तेरी सभी ज़रूरतों को तेरा यह देवर पूरा करेगा।
काश उस वक्त वो समझे होते कि सभी ज़रूरतों को मैं पूरा कर दूँगा यानि कि भैया ने सोचा ही नहीं था कि मैं उनकी बीवी को चोदूँगा।
बस वो दिन आया और भैया चले गए अमेरिका।
अभी 4-5 दिन ही बीते थे कि भाभी को बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैं तो उन्हें चोदने का बहुत दिनों से प्लान बना रहा था।
एक दिन मैं अपने कमरे में सोया हुआ था कि भाभी मुझे उठाने के लिए आईं।
मैं सिर्फ़ अपने अंडरवियर में था।
जब भाभी मुझे उठाने के लिए आईं तब उनकी नज़र मेरे तने हुए लण्ड पर पड़ी।
मैं भी जानबूझ कर वैसा ही पड़ा रहा।
ख़ैर भाभी ने देखा और शरमा कर चली गईं।
अगले दिन भी यही हुआ।
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
इसके अगले दिन जब भाभी मुझे उठाने के लिए आईं तब मैंने उन्हें मेरे पास खींच लिया और उनके होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया।
भाभी भी 8-10 दिनों से भूखी थीं।
उन्होंने भी सहयोग किया।
फिर मैंने धीरे-धीरे उनके चेहरे पर से जाते हुए उनकी गर्दन पर चुम्बन करना शुरू किया।
भाभी और गरम होती गईं।
मैंने धीरे-धीरे उनके गोलाइयों को दबाया और उनका ब्लाउज उतार दिया।
फिर उनकी साड़ी खोल दी।
अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में रह गई थीं।
मैं उनके होंठों पर चुम्बन किए जा रहा था और उनके मम्मों को दबा रहा था।
फिर मैंने उनकी ब्रा भी खोल दी।
अब उनके बड़े-बड़े उभार मेरे सामने सर उठाए खड़े थे।
मैं पागल हुए जा रहा था।
उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगी और मेरा लौड़ा सहलाने लगीं।
मुझे लगा मैं सपना देख रहा हूँ।
उसने मेरे कपड़े उतारे।
मैं भी नंगा हो गया फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।
इससे पहले किसी औरत ने मेरा लण्ड नहीं चूसा था।
मैंने सिसकारी भरते हुए कहा- आआ… हहा भाभी… मजा आ रहा है!
फिर वह मुझे चोदने के लिए कहने लगी और मेरे नीचे लेट गई।
अब मेरी भाभी की चुदाई का वक्त आ गया था।
मैंने भाभी की चूत पर लण्ड रख कर धक्का मारा।
उनकी चूत बहुत ज़्यादा चुदी हुई थी, मेरा लण्ड एक बार में पूरा खा गई।
उन्होंने कहा- आ..आह.. मज़ा आ गया.. और ज़ोर से चोदो..
मैं अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता और एकदम से पेल देता।
वो भी नीचे से धक्के मार रही थी और कह रही थी- हाय…मेरे..विज्जू.. ज़ोर से चोदो.. आआहा.. आाआह मज़ाअ आआ रहा है..
धकापेल धकापेल भाभी की चुदाई होने लगी।
फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए उसने मुझे कमर से पकड़ लिया और कहा- मेरे ऊपर ही लेटे रहो।
फिर क़रीब 30 मिनट तक हम मस्ती करते रहे, फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसे मज़ा दे रहा था।
कुछ ही पलों के बाद मैं फिर से तैयार हो गया था।
अब की बार उसने मुझसे कहा- मुझे पीछे से चुदना अच्छा लगता है… तुम मुझे पीछे से चोदो।
मैंने उसके चूतड़ों को फैला कर उसकी उठी हुई चूत में अपना साढ़े सात इन्ची लौड़ा फंसा कर भाभी की चुदाई की, कुतिय की तरह से तरह से उन्हें चोदा।
अबकी बार वो जल्दी झड़ गई, मेरा लण्ड अभी भी मस्त था।
मैं उसे धकापेल चोद रहा था।
मेरा पानी नहीं निकल रहा था।
वो तड़फ कर कह रही थी- बस विज्जू.. अब बस करो मेरी टाँगें दुख रही हैं।
मैंने कहा- थोड़ी देर.. और..मेरी जान।
मैं धक्के मार रहा था..
वो चिल्ला रही थी।
मैं पीछे से कुत्ते जैसा लग कर भाभी की चुदाई किये जा रहा था और उनकी चूचियाँ हवा में झूल रही थीं।
मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियों को पकड़ कर खूब मसला।
उसके चूचुकों को भी मैं खूब दबा रहा था।
भाभी के मुँह से मादक मस्ती की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
‘आह्ह.. चोद मेरे सनम… चोद साले.. खूब मजा आ रहा है.. आह्ह्ह.. !’
तभी मेरे लौड़े ने उसकी चूत की गर्मी से उन पर जुल्म कर दिया और मैं तेजी चोदने लगा..
तभी उनका पानी निकल गया।
पानी से लबालब चूत से ‘फ़च-फ़च’ की आवाज़ आ रही थी।
मैं उसे लगातार बेरहमी से भाभी की चुदाई करता रहा…
वो कह रही थी- बस बस्स्स… आआ… आहा मैं मर जाऊँगी..ई..
फिर मेरा पानी उसकी चूत में निकल गया।
चुदाई से थक कर हम दोनों लेट गए।
उन्होंने कहा- तुमने मेरी चूत का भुरता बना दिया, तुम्हारे भाई ने आज तक कभी ऐसा नहीं चोदा।
फिर मैं रोज़ भाभी की चुदाई करने लगा।
उन्हें भी मुझसे रोज दो बार चुदने का चस्का लग गया था।
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