Tuesday 4 August 2015

टेरेस पर चुदाई

हाय दोस्तों मेरा नाम शिला हे. और मेरी उमर हे २४ साल. एक दिन में और मेरी बेहेन बाज़ार गए हुए थे खरीदी के लिए कुछ चीज़े हमने खरीद ली थी और कुछ बाकी थी लेकिन पता नहीं आज क्यों बाज़ार में इतनी भीड़ जमा थी कुछ समज में नहीं आ रहा था. हमने थोडा सामान ख़रीदा था और थोडा बाकी था खरीदना तो  था लेकिन शाम हो चुकी थी और हम दोनों एकेले ही घर से आये थे वेसे तो हम लोग घर से अकेले निकल सकते हे लेकिन शाम से पहले हमें घर में होना चाहिए ये फरमान था भाई का पापा का चाचा का मम्मी का सबका अरे हां दोस्तों में अपने घर वालो के बारे में बताना भूल ही गई सोरी दोस्तों.

मेरे घर में में और मेरी बड़ी बेहेन जिसका नाम हे सीमा हम दो बहेने हे और हम दोनों से बड़ा हमारा भाई हे जो हम दोनों बहेने को बहुत प्यार करता हे. और हम तीनो संतानों को इस दुनिया में लाने वाले हमारे मम्मी और पापा और साथ में हमारे चाचा और चाची हम सब साथ में रहते हे.

हम को पापा ने अच्छी परवरिश दी हे. हमें कही भी आने जाने की कोई भी रोक टोक नहीं थी लेकिन घर में शाम होने से पहले घर आ जाने का फरमान था और अगर कोई प्रोग्राम की वजह से जाना हुआ भी तो भाई, चाचा या अपने पापा को साथ में ले जाना  था उस दिन हम दोनों घर से सब मेनेजमेंट करके ही  निकले थे पेसो का और समय का भी की इतनी खरीदी करके हम इतने वक्त में तो घर आ ही जाएंगे कहा पता था की बाज़ार में इतनी भीड़ होगी और इतनी देर हो जाएगी. धीरे धीरे अँधेरा बढ़ रहा था.और हमारी घबराहट भी हमने भाई को फोन लगाने की कोसिस किलेकिन उनका फोन स्विच ऑफ़ आया और चाचा तो काम से बहार गए हुए थे तो उन्हें फोन करने का कोई मतलब ही नहीं था पापा के फोन का तो कहना ही क्या वो कभी कवरेजक्सेत्र के अन्दर नहीं होता था बहुत कहने पर भी वो कार्ड नहीं बदल रहे थे कभी कभी लग जाता था तो एक चांस लेना चाहा तो हमने पापा को भी फोन लगाया लेकिन वही जवाब था. हम दोनों हताश हो गए हम दोनों अँधेरे से डर कर हताश नहीं हुए थे बल्कि हमें डर था की कही घर गए तो सबकी दांत पड़ेगी सबका सुनना पड़ेगा यही सोच सोच कर हम घबरा रहे थे.

इतनी देर तक हम लोग कभी घर से बहार नहीं रहे थे इस लिए हमने घर जल्दी जाने की जल्दी में ऑटोरोकने की कोसिस की लेकिन शाम का वक्त था सभी को घर जाना होता हे सब ऑटो पेसेंजर से भरी हुई आती थी एक दो ओतोत रुकी लेकिन उसमे एक ही पेसेंजर की जगह थी हमने फिर भाई को फोन किया लेकिन कोई मतलब नहीं था पता नहीं क्यों इनका फोन स्विच ऑफ़ था फिर तो हमारे फोन की बेटरी भी ख़तम हो गयी.इतने में दूर से कोई गाडी आती दिखाई दी करीब आई तो जाना वो मेरी सहेली का भाई था उसे देख कर हमें थोड़ी राहत हुई की चलो कोई तो पहचान वाला मिला. उसने हमको देखते ही अपने कार रोक दी और हम दोनों उसकी कार में जा बेठे. साथ में उसका एक दोस्त भी था पता नहीं उसने उससे क्या कहा था वो बार बार पीछे मुद कर मुझे देख रहा था और मन ही मन मुस्कुरा रहा था.

पहेल तो गाडी ठीक रास्ते पर दोड रही थी लेकिन आगे जाते ही उसने रुख मोड़ लिया तो सीमा ने कहा की राजू ये तुम कहा ले जा रहे हो क्या हमारे घर का पता भूल गए हो …..अरे दीदी नहीं में तुम्हारे घर का पता केसे भूल सकता हूँ लेकिन मुझे मेरे दोस्त को उसके घर तक छोड़ना हे फिर हम लोग तुम्हारे घर जाएंगे.फिकर क्यों करती हो…?फिकर तो हमें घर वालो की हो रही हे …मेने कहा क्यों…?उन्हें बताया नहीं तुमने की देर हो जायेगी….?राजू ने कहा… नहीं बाज़ार में भीड़ थी तो सामान भी थोडा लिया हे और ऊपर से शाम हो गयी घर से तो मम्मी को कहा था की हम लोग शाम होने से पहले घर आ जायेंगे लेकिन बहुत देर हो गयी अब तो फोन की बेटरी भी ख़तम हे क्या फोन करेंगे और भाई का फोन भी बंद आ रहा हे …

अरे लो मेरा फोन ट्रे करो शायद उसने ओं किया हो और हां.. सिला एक बात और देर रात तक तुम्हारे घर वाले तुम्हे कही जाने नहीं देते लेकिन अगर तुम्हारी सहेली आरती का नाम पड़े तो कोई भी तुम्हे कुछ नहीं कहेगा तो प्लीज् अपने भाई को बता देना की तुम दोनों को आरती बाज़ार में मिल गयी थी और वो जबरदस्ती अपने घर ले आई हे और डिनर के बाद ही वो तुम्हे आने देगी और हां ये भी कहना की उसका भाई हमें छोड़ जाएगा घरवाले फिकर ना करे….में सीमा फोन लगा रही थी की राजू ने उसको रोक कर कहा…. तो मेने कहा अरे नहीं नहीं डिनर तक तो बहोत देर हो जायेगी तो उसने कहा पहले अपने भाई से बात तो करो अगर  तुम्हारे पापा की मंजूरी नहीं होगी तो में अभी का अभी तुम दोनों को घर छोडाऊगा. सीमा ने भाई को फोन किया और राजू ने कहा था ठीक वेसे ही कहा भाई ने पापा से बात करवाई और पापा ने कहा अच्छा तुम लोग बाज़ार से तो आ गए हो न और आरती के घर हो तो कोई बात नहीं और हां रात को फिर अकेले ना निकल जाना राजू को साथ में लेकर ही आना . सीमा ने कहा अच्छा ठीक हे वेसे भी हमें राजू छोड़ने आएगा..पापा से बात ख़तम किया में तो उतावली थी की पापा ने क्या कहा तो सीमा ने धीरे से कहा की पापा ने कहा कोई बात नहीं लेकिन आते वक्त राजू को साथ में लेकर आना अकेले मत आना …

यही तो मेने कब मना किया हे में तो तुम्हे छोड़ने आऊंगा ही कब मना करता हूँ….आरती सीमा की सहेली थी और राजू आरती का भाई तना और में सीमा की बहेन और राजू स्कूल टाइम से ही मुज पर मरता था ये बात मुझे और मेरी बाहें को पता था आरती भी ये जानती थी लेकिन में राजू को लाइक करती हूँ ये बात कोई भी नहीं जानता था.

खुद राजू को भी नहीं पता था की में भी उसे लाइक करती हूँ.अरे में तो उसके प्यार में इतनी पागल थी की जब भी सेक्स की भूक लगती तो में उसी को याद करके उसके साथ ख्यालो में मस्ती मारते हुए अपनी चूत में उंगलिया करती थी और अपनी भूकी चूत को शांत करती थी.

चलो दोस्तों अब में अपनी रियल स्टोरी पे ही आती हूँ इधर उधर का बहुत हो चूका.

उस दिन हुवा यु की  सीमा और मुजको देख कर उसकी सहेली आरती और उसके घरवाले बहुत ही खुस हुए. राजू ने कहा था की उसके दोस्त को वो उसके घर छोड़ेगा लेकिन बातो बातो में वो उसे भी अपने घर ले आया था.डिनर की अभी देर थी और कई दिनों के बाद यर दो सहेलिया मिली थी तो उनकी मम्मी ने कहा की एसा करो में तुम्हारे घर फोन करके तुम्हारे मम्मी पापा को कह देती हूँ की आज की रात ये दोनों बच्चिया  यही रहेगी सुबह में आएगी….हमने बहुत मना किया लेकिन आंटी मानी ही नहीं और उन्होंने मम्मी से बात की और थोड़ी देर बाद पापा से भी बात की उन्होंने हां करदी थी हमारे घर के सम्बन्ध काफी अच्छे थे एक दुसरे पर एक छोटी सी सुई जितना भी सक करना न मुमकिन था. और ये रिस्त सीमा और आरती से ही झुडा था. वो दोनों तो एसे बेठी थी जेसे की बरसो के बाद मिली हो राजू ने कहा चलो भाई भूक लगी हे खाना खाले … तो हम सब ने खाना खाया और खाना खाने के बाद हम लोग टीवी देखने को बेठ गए वह पर भी वो दोनों सहेलिय टीवी देखने के बजाये बाते ही कर रही थी. उन्हें बाते करती छोड़ कर आंटी ने मुझे कहा चल शिला हम लोग ऊपर बैठेंगे इनदोनो को बाते कर ने दो .में आंटी के साथ ऊपर टेरेस पर चली गयी और तुरंत पीछे पीछे राजू भी आया. थोड़ी देर तक आंटी हमारे साथ बेठी फिर उन्हें नींद आने लगी तो वो मुझे और राजू को बेठ ने को कह कर चली गयी.

अब टेरेस पर में और राजू अकेले थे में तो एसा ही मौका ढूंड रही थी और वो आज मिल गया. पहले तो हम दोनों एक दुसरे को देखते ही रहे फिर मेने ही बात की सुरुआत की क्या राजू एसे ही देखते रहोगे की कुछ बात भी करोगे…? क्या सोच रहे हो…? तब राजू ने नजर जुकाए सीधा मुझे आई लव यू कहा और मेने भी ठीक ईसिस तरह उसे  जवाब दे दिया वो सुनकर पागल  हो गया वो खुसी में इतना पागल हुआ की उसे पता ही नहीं चला की वो क्या कर रहा हे उसने मुझे कास के अपनी बाहों में भर लिया में तो इसके इस स्पर्स से खुस तो थी ही लेकिन बहुत ही खुस थी. थोड़ी देर बाद उसे पता चल की उसने मुझे झाकड़ रखा हे.. तो धीरे धीरे उसने मुझे छोड़ा और सॉरी कहा …उसने जब सोरी बोला तो मेने पूछा किस बात की सोरी ….? तो उसने कहा की मेने इस तरह से तुम्हे पकड़ लिया था मुझे खुसी के मारे कुछ होश ही नहीं रहा.

तो मेने उसे बिच में ही रोका और कहा की तुमने तो मुझे आज ही अपनी बाहों में पकड़ा होगा लेकिन में तो तुम्हे रोज अपनी बाहू में जकडती हूँ…..तो वो चोक कर मेरे सामने देखने लगा… हां हा… राजू में तो तुम्हे रोज अपनी बाहू में जकडती हूँ. वो केसे उसने पूछा वो एसे की में रात दिन तुम्हारे ही खयालो में रहती हूँ. और इन्ही खयालो में मुझे तुमसे चिपक कर रहने के ख़याल आते हे यानी की मुझे सेक्स की जब भूक लगती हे तो में तुम्हे याद करके तुम्हारे नाम की मेरी चूत में ऊँगली करती हूँ. …मुझे लगा अब मौका मिला हे तो सब बता दू बात को लम्बी करने से मुझे या राजू को कोई फायदा नहीं पहोंचेगा और एसा मौका नजाने कब मिलेगा.

मेरी बात सुनते ही राजू ने अपने हाल बयान किया और कहा की में तो दिन तिन चार बार तेरे नाम की मुठ मरता हूँ. कह कर वो मुझे चिपक कर बेठ गया मुझे तो बड़ा अच्छा लगा वो जितना आया था उससे भी ज्यादा में उसके करीब पहोची एसे चोटी उसे की बिच में से एक चीटी का भी निकलना मुस्किल ही नही नामुमकिन था. राजू मुझे धीरे  सेक्स के लिए एक्साईटकर रहा था जो की में पहले से ही थी लेकिन उसे मेने बताया नहीं. वो जो कर रहा था मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.

फिर तो उसके हाथ रफ़्तार से मेरे बदन पर फेरने लगा मेरे पुरे शरीर पर वो हाथ फेर रहा था जिससे मुझे और भी नशा चढ़ रहा था.और उसे मुझे देख कर नशा चढ़ रहा था अब उसने मुझे किस करना सुरु किया ठीक ५ मिनट तक लिप किस किया और फिर सीधे वो मेरे बूब्स तक पहोच गया. मेरे बूब्स को चूसते ही हम दोनों इतने नशे में चूर हो गये की जल्दी जल्दी से अपने अपने कपडे उतारे और चोट गए एक दुसरे को वो मुझे चाट रहा था और में उसे अब एसे में मेरा दो बार पानी छुट गया अब तो कंट्रोल करना मुस्कील था राजू ने अपना लंड मेरे हाथ में दिया और कहा इसे अपनी चूत में घुसाओ.

मेने कोसिस की लेकिन उसका लंड मेरी चूत में गया ही नहीं वो हम दोनों सेक्स के नशे में इतने चूर हुए थे की किसी भी तरह उसके लंड को मेरी चूत में घुसाना चाहते थे आज हम कुछ भी काम अधुरा छोड़ना नही चाहते थे. उसने अपनी दो ऊँगली मेरी चूत के अंदर घुसाई और गोल गोल गुमाने लगा मुझे तो नहुत मज़ा आने लगा थोड़ी देर एसा करने के बाद वो फिर से मेरे ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को मेरी चूत पर सेट करके एक जोरका धक्का लगाया पहले तो नाकाम रहा फिर एसा ही किया तो इस बार उसे कामयाबी मिली थोडा लंड अन्दर जाते ही जैसे की हम जन्नत में हे धक्के दे दे कर उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर तक घुसा दिया. और फिर अन्दर बहार करके मुझे चोदने लगा बहुत मज़ा आ रहा था हम दोनों को भी हमरी चुदाई ठीक १ घंटा तक चली और फिर वो मेरे अन्दर ही झड गया उसने अपनी साड़ी मलाई मेरी चूत में निकाल दी. थोड़ी देर बाद हम दोनों कपड़े पहन कर निचे चले गए जेसे कुछ हुआ ही नहीं……

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